कूबड़ी बुआ

नैमिषारण्य में रानी नाम की एक साही रहा करती थी। वह आयु में छोटी होते हुए भी बड़ी बुद्धिमान थी। उसकी बुद्धिमत्ता से अनेक बार साहियों के परिवार की रक्षा हुई थी अतएव सभी उसका बड़ा सम्मान करते थे। कुछ ही ऐसे व्यक्ति होते हैं जो सम्मान और ऊँचा पद पाकर भी अभिमान नहीं करते।…

होनहार बालक

सौरभ और विक्रम दोनों के घर आसपास थे। वे एक ही स्कूल में एक ही कक्षा में पढ़ते थे। वे साथ-साथ स्कूल जाते थे और साथ ही साथ अपने-अपने घर लौटते थे। उनके पिताजी भी एक आफिस में काम करते थे। सौरभ और विक्रम दोनों को ही प्रतिदिन जेब खर्च के लिए पैसे मिलते थे।…

जातीय गौरव

एक सुंदर झील के किनारे तोतों के कुछ परिवार उड़ते हुए आए। वे सभी देशाटन पर निकले थे। झील का रमणीक स्थान उन्हें बहुत अच्छा लगा। चारों ओर पहाड़ियाँ, फलों से लदे हरे-हरे वृक्ष थे और स्वच्छ जल था। रहने की सारी सुविधाएँ वहाँ थीं। तोते उड़ते-उड़ते बहुत थक भी चुके थे। अतएव उन्होंने विचार…

शक्ति की पहिचान

एक बार अभयारण्य में बहुत जोरों का तूफान आया। संयोग की बात थी कि उसी दिन सारे पक्षियों ने मिलकर घूमने का कार्य-क्रम बनाया था। वे सब सुबह-सुबह वहाँ से उड़ गए थे। शाम को जब वे वापिस लौटे तो वहाँ का दृश्य देखकर उनका जी धक से रह गया। सारे के सारे पेड़ धरती…

सोनी की धूर्तता

अमरकंटक वन में पीपल का एक बड़ा पुराना पेड़ था। उस पर कनु नाम का एक बंदर रहा करता था। कनु बड़े ही अच्छे स्वभाव का था। सबसे मीठी वाणी बोलता था। किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करता था। दूसरों की सहायता किया करता था, इसलिए उस पेड़ पर रहने वाले सभी प्राणी कनु को बहुत…

मित्र का कर्त्तव्य

राधू खरगोश को अन्य खरगोशों के साथ अमिताभ की माँ ने पालतू बना लिया था। राधू और अन्य तीन खरगोश पिंजरे में रहते- रहते तंग आ गए। सभी को जंगल से पकड़कर लाया गया था । वे यही सोचते रहते कि किस प्रकार वापस जंगल को लौटें ? एक बार राधू को मौका मिला और…

नदी पार की दावत

रावी नदी के किनारे घना जंगल था । उसमें बहुत से जानवर रहा करते थे। एक बार भास्कर नाम के एक हाथी और कांत नाम के एक बंदर में गहरी दोस्ती हो गई। दोनों साथ-साथ रहते थे, साथ-साथ घूमा करते थे। एकदूसरे की सहायता करते थे। जंगल के सभी जानवर भास्कर से कहते कि कांत…

संगठन की शक्ति

पीपल के एक पेड़ की जड़ में बहुत सारी चींटियाँ घर बनाकर रहती थीं। सभी बड़े सहयोग से काम करती थीं। सदैव मिल- जुलकर काम करती थीं। यही कारण था कि उन्हें किसी बात की परेशानी नहीं थी। सुबह होते ही सारी चींटियाँ तेजी से अपने काम में जुट जाती थीं। कुछ तो दिन में…

सही रास्ता

जाड़े शुरू होने वाले थे, इसलिए सारी की सारी चींटियाँ भोजन जमा करने में जुटी हुईं थीं। शाली और रेनु चींटी भी खाने की तलाश में सुबह ही निकल जाती थीं। दोनों को चिंता थी कि सरदियों से पहले ही सामान इकट्ठा कर लें, जिससे बच्चों को परेशानी न हो। जाड़ों में दुःख न उठाना…

सोच-विचार कर काम करें

गेहूँ के खेत की मेड़ पर अमरूद का एक पेड़ था। उसी पेड़ पर चंपा गिलहरी रहा करती थी। अमरूद और गेहूँ के दाने खाते- खाते, एक जगह रहते-रहते चंपा ऊब गई। उसने सोचा कि कुछ दिनों के लिए अपनी सहेली के पास चलना चाहिए। चंपा की सहेली नीरा नाम की गिलहरी थी। वह शहर…

सबक

अमित के स्टोर की टाँड़ पर सोनी कबूतरी ने अपना घोंसला बनाया था। टाँड़ पर बहुत सा सामान भरा पड़ा था। एक बिस्तरबंद के पीछे, खिड़की के सहारे, सोनी ने कुछ आड़े-तिरछे तिनके रख लिए थे। वहीं उसने दो अंडे दिए। सोनी कबूतरी और मोना कबूतर दोनों बारी-बारी से अंडों की देख-भाल करते । थोड़े…

बंदर की नादानी

उस बरगद के पेड़ पर बहुत से प्राणी रहते थे, पर वे सभी चुन्नू बंदर की शैतानी से बहुत ही तंग आ गए थे। बात भी तंग होने की ही थी। चुन्नू कभी पीछे से चुपचाप जाकर किसी बूढ़े बंदर की पूँछ खींचकर भाग जाता। बंदर पीछे मुड़कर देखे, इतनी देर में चुन्नू गायब। कभी…

तीन मित्र

काली कौवा आज बड़ा उदास था। किसी काम में उसका मन नहीं लग रहा था। कभी वह इस पेड़ पर बैठता तो कभी उस पेड़ पर। काँव-काँव करता हुआ बेचैन सा घूम रहा था। “आओ! घूमने चलें।” बूढ़े गिद्ध ने कहा। “नहीं काका अभी नहीं जाऊँगा।” कहकर काली कौवा फिर उदास सा बैठ गया। असल…

स्नेह की शक्ति

छोटू और मोती खरगोश दोनों घूमने निकले। उनकी माँ कहने लगी – ” बच्चो ! बहुत दूर तक मत जाना। बहुत जल्दी ही घर वापस आ जाना।” “माँ तुम हमारी चिंता न करना।” हम जल्दी ही घर वापस आ जाएँगे। छोटू ने कहा । छोटू और मोती दोनों अभी छोटे थे। इसलिए उनकी माँ उन्हें…

परिश्रमी सदा सुखी

दत्ता नाम की एक मधुमक्खी बड़ी आलसी थी। उसकी सारी सहेलियाँ सुबह ही काम पर निकल जातीं, पर वह देर तक सोती रहती। दिन में भी पड़ी अलसाती रहती। कुछ भी काम करना उसे बुरा लगता था। अन्य मधुमक्खियाँ मेहनत करके पराग आदि भी इकट्ठा करतीं, शहद बनातीं, दत्ता उन्हें पड़े-पड़े खाती रहती। दत्ता का…

मित्रता की कला

यमुना नदी के किनारे केशू नाम का एक कछुआ रहता था। वह सदा अकेले-अकेले रहता था। पूरी नदी में उसका कोई मित्र नहीं था। केशू इस कारण बहुत उदास भी रहता था। आखिर कभी बातचीत करने को, मन की बात कहने को कोई तो चाहिए ही। केशू के मित्र न बनने का कारण उसका स्वभाव…

स्वावलंबन

नंदा लोमड़ी को अंगूर बड़े पसंद थे। वह जहाँ भी हरे-भरे अंगूरों के गुच्छे देखती, उसके मुँह में पानी भर आता, पर अंगूर उसे मुश्किल से ही खाने को मिलते। लंबू हाथी, पप्पू खरगोश, चंचल गिलहरी इनके यहाँ अंगूर की बेलें थीं। वे सभी बड़ी मेहनत से उन्हें उगाते थे। नंदा लोमड़ी सभी से अंगूर…

सुंदर की उदारता

पीपल के पेड़ के नीचे सोनू कुत्ता चुपचाप बैठा था। उसे बड़ी तेज भूख लग रही थी। कहीं से खाना मिल जाए यही सोचता हुआ वह बैठा था । तभी सुंदर कौआ उड़ता हुआ पीपल के पेड़ पर आया । उसकी चोंच में पूरी एक रोटी थी। रोटी देखकर सोनू की भूख और भड़क उठी।…

घमंडी कजरी

यों उस घर में अनेक पशु-पक्षी पले हुए थे। पिंजरे में बैठा हरियल तोता हर समय राम-राम कहता रहता था। सोनू कुत्ता बड़ी सजगता से घर की चौकीदारी करता था। गंभीर गौरी गाय सबको समझाया करती थी। लड़ाई होने पर वही न्याय करती थी। सफेद कबूतरों का जोड़ा बड़ी शान से इठलाता सारे घर में…

पोखर का जादू

दशहरे की छुट्टियों में मुरारी अपने गाँव खतौली आया। पूरे दो महीने बाद आया था वह । छुट्टियाँ कैसे बिताएगा ? यही सोचते- सोचते वह अपने घर जा पहुँचा। दरवाजे से ही पकवानों की सौंधी- सौंधी गंध उसकी नाक में घुसने लगी। वह सोच रहा था कि आज तो माँ ने उसके स्वागत की जोरदार…