महानता का मापदंड

“क्या तुम मेरे समान शक्ति नहीं चाहतीं ?”-यह कहकर ‘आँधी’ अपनी छोटी बहन मंदवायु की ओर देखने लगी । कुछ उत्तर न पाकर वह फिर कहने लगी- “देखो, जिस समय मैं उठती हूँ, उस समय दूर-दूर तक लोग तूफान के चिह्नों से मेरे आने का संवाद चारों ओर फैला देते हैं। समुद्र के जल के…

गोस्वामीजी की समाज-निष्ठा

लायलपुर (पंजाब) में जन्मे गोस्वामी गणेशदत्त ने अपने श्रम, ज्ञान और समय का विसर्जन देश-सेवा के लिए कर दिया । वे रचनात्मक कार्यों में विश्वास करते थे । देखा कि उस समूचे प्रांत में उर्दू का बोलबाला है । हिन्दी जानने वाले लोग मुट्ठी भर थे। हिन्दी समझे बिना हिन्दू धर्म को समझना कठिन है-यह…

आदर्श चिकित्सक

मैसूर राज्य के एक छोटे-से गाँव मणिपाल में जन्मे डॉ० पाई डॉक्टरी की उच्च शिक्षा प्राप्त करके जैसे ही निकले, वैसे ही नौकरियों के प्रस्तावों का ढेर लग गया; पर उनने उन सबको अस्वीकृत करते हुए अपनी जन्मभूमि तथा समीपवर्ती पिछड़े क्षेत्रों की सेवा करने का निश्चय किया और वहीं एक छोटी- सी डिस्पेंसरी खोल…

वेद ज्ञान के प्रसारक मैक्समूलर

जर्मनी के डेजी इलाके में जन्मे मैक्समूलर उपयुक्त अध्ययन के उपरांत कट्टरवादी बिल्कुल न रहे । सत्य की शोध में जहाँ भी यथार्थता दीख पड़ी, वहाँ से उसे ढूँढ़ निकालने का मन में निश्चय वे निकल पड़े । वेदों को ज्ञान का भंडार जाना जाता था । वे वेदों को ढूँढ़ने और उस ज्ञान को…

पाखंड उन्मूलक सच्चे संन्यासी दयानंद

टंकारा (गुजरात) में जन्मे मूलशंकर अधिक विद्या प्राप्त करने की दृष्टि से घर छोड़कर मथुरा चल दिए। यहाँ स्वामी विरजानंद की पाठशाला में उनने संस्कृत भाषा तथा वेदों का गहन अध्ययन किया । अन्य विद्यार्थी तो पढ़-लिखकर अपना पेट पालने चल देते हैं, गुरु को एक प्रकार से भूल ही जाते हैं । मूलशंकर उनमें…

वुड्रेज की सफल श्रम साधना

ओलंपिक खेलों का नाम आज संसार के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है । इस स्थिति में लाने का श्रेय वुड्रेज को जाता है । उनने बहुत छोटे संगठन को विश्व स्तर का बनाया और सशक्त राष्ट्र, जो धींगामस्ती करते और मनमानी चलाते थे, उसे सूझ-बूझ और साहस के साथ दिशा दिखाई। आज १६ हजार उच्च…

सिद्धांतवादी वर्नार्ड शॉ

सिद्धांतवाद की जीती-जागती मूर्ति का नाम है, जार्ज बर्नार्ड शॉ । वे आयरलैंड के माने हुए लेखक थे। उस देश में मांसाहार और सुरा-सुंदरी का साधारण प्रचलन है । बर्नार्ड शॉ ने इन तीनों से आजीवन बचे रहने का प्रयास किया और उसे पूरी तरह निभाया । उनकी आजीविका अच्छी थी । ख्याति भी विश्वव्यापी…

मंत्री भद्रजित की देवकृति

राजा बालीक ने किसी बात पर रुष्ट होकर प्रधान आमात्य भद्रजित को पदच्युत कर दिया । सौचा इससे उन्हें प्रताड़ना मिलेगी और होश ठिकाने आयेंगे । जन सम्मान सकता है । के बिना कौन सुखी रह भद्रजित की आदर्शनिष्ठ बुद्धि अडिग रही, प्रेरणा हुई-लोकमंगल के लिए पद नहीं, श्रेष्ठ भावना चाहिए । उन्होंने जन संपर्क…

दृढ़ निश्चयी मीरा

मीरा राजस्थान अपने को भगवत के मेड़ता घराने में जन्मी, उनका विवाह चित्तौड़ के राजकुमार से हुआ । वे मन से अपने को भगवत समर्पित मानती थी और भक्त के साथ-साथ असाधारण रूप से साहसी भी थीं । मीरा विधवा हो जाने पर उनने अपना जीवन परमार्थ प्रयोजनों में लगाने की ठानी । ससुराल परिवार…

पाप का प्रायश्चित

अपने पिता बिंदुसार से सम्राट अशोक को सुविस्तृत राज्य प्राप्त हुआ था । पर उसकी तृष्णा और अहमन्यता ने उसे चैन नहीं लेने दिया । आस-पास के छोटे-छोटे राज्य उसने अपनी विशाल सेना प्रायश्चित्त के बल पर जीते और अपने राज्य में मिला लिए । उसके मन में कलिंग राज्य पर आक्रमण करने की उमंग…

हजारी किसान

बिहार प्रांत के एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था । नाम था उसका हजारी । उसने अपने खेतों की मेड़ों पर आम के पेड़ लगाए । जब वे बड़े हुए तो उन पर पक्षियों ने घोंसले बना लिए । मधुर स्वर में चहचहाते । जब बौर आता तो कोयल कूकती । छोटे-छोटे…

रामकृष्ण परमहंस की विनम्रता और सादगी

डा० महेन्द्रनाथ सरकार कलकत्ता के प्रख्यात और संपन्न चिकित्सक थे । वे रामकृष्ण परमहंस से मिलने गए । परमहंस जी बगीचे में टहल रहे थे । उन्हें माली समझा गया और कहा-‘ऐ माली, थोड़े से फूल तो लाकर दे । परमहंस जी को भेंट करने हैं।” उनने अच्छे अच्छे फूल तोड़कर उन्हें दे दिए ।…

फोर्ड जिनने अपनी कमाई परमार्थ में लगाई

छोटे से घर में जन्म लेकर संपन्नता की पराकाष्ठा तक पहुँचने पर भी महापुरुष कभी बदलते कमाई नहीं । हेनरी फोर्ड अमेरिका के एक छोटे से ग्राम ग्रीन फील्ड में जन्मे । घर की आर्थिक स्थिति खराब होने से उन्हें बारह वर्ष की आयु से ही नौकरी, रात में पढ़ाई और मस्तिष्क में मशीनों का…

राजेन्द्र बाबू की सरलता

बात सन् १९३५ की है । राजेन्द्र बाबू कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे । उन्हें किसी काम से प्रयाग से निकलने वाले अंग्रेजी लीडर के संपादक श्रीचिंतामणि से मिलना था । चपरासी को कार्ड दिया । वह संपादक की मेज पर रखकर लौट आया और प्रतीक्षा करने के लिए कहा । राजेन्द्र बाबू के…

दास चीरित्र एवं बुद्ध

तथागत उन दिनों श्रावस्ती बिहार में थे । जैतवन की व्यवस्था अनाथ पिंडक संभालते थे । दक्षिण क्षेत्र की प्रव्रज्या से दास चीरित्र वापस लौटे और बड़े बिहार जैतवन में जा पहुँचे । दास चीरित्र की भाव-भंगिमा और विधि-व्यवस्था वैसी नहीं रह गई थी, जैसी कि जाते समय उन्हें अभ्यास कराया गया था। वे जहाँ…

चरवाहे की सम्पत्ति

ईरानी शाहंशाह अब्बास शिकार के लिए जंगल में भटक रहे थे । वहाँ उनकी भेंट एक चरवाहे बालक से हो गई । नाम था- मुहम्मद अलीवेग । चरवाहा होते हुए भी उसकी हाजिर जबावी तथा व्यक्तित्व से शाह बड़े प्रभावित हुए और लौटते समय उसे भी अपने साथ ले आए । मुहम्मद अलीवेग को राज्य…

बिच्छू और केकड़ा

एक नदी तट पर बिच्छू और केकड़ा पास-पास रहते थे । जान-पहचान मित्रता के रूप में बढ़ने लगी मिल जाते तो घुल-घुल कर बातें करते । एक दिन बिच्छू बोला–” मित्र ! तुम्हें पानी में तैरते देखता हूँ तो आनंद भी आता है और ईर्ष्या भी । आनंद इस बात का कि तैरते समय तुम्हें…

दान बना अभिशाप

शिवजी ने संस्कारित व्यक्तियों की ही भस्म खोजकर लाने के लिए एक स्नेह पात्र गण को नियुक्त किया । वह निष्ठापूर्वक अपना कार्य समय पर पूरा करने लगा । एक बार उसने कहा-“प्रभु ! आपके भक्त अधिकांश आप जैसे अलमस्त फक्कड़ होते हैं । कई बार उनके दाह की भी व्यवस्था नहीं जुट पाती ।…

विलासी हारते हैं

देवताओं और दनुजों में घमासान युद्ध हुआ । विलासी देवताओं को हारकर भागना पड़ा । पराक्रम में निरत दनुज जीत गए । देवता प्रजापति के पास पहुँचे । उनने संयम के अभाव को पराजय का कारण बताया और कहा-“मनुष्यों में एक तप, तेज का धनी मुचकुंद है । अपना सेनापति उसे बनाओ और देवताओं और…

अहंकारिता और जल्दबाजी का दुष्परिणाम

दिल्ली का बादशाह मुहम्मद तुगलक विद्वान भी था और उदार भी । प्रजा के लिए कई उपयोगी काम भी उसने किए; किन्तु दो दुर्गुण उसमें ऐसे थे, जिनके कारण वह बदनाम भी हुआ और दुर्गति का शिकार भी । एक तो वह अहंकारी था; किसी की उपयोगी सलाह भी अपनी बात के आगे स्वीकार न…