विदुर का भोजन और श्रीकृष्ण

विदुर जी ने जब देखा कि धृतराष्ट्र और दुर्योधन अनीति करना नहीं छोड़ते, तो सोचा कि इनका सान्निध्य और इनका अन्न मेरी वृत्तियों को भी प्रभावित करेगा । इसलिए वे नगर के बाहर वन में कुटी बनाकर पत्नी सुलभा सहित रहने लगे । जंगल से भाजी तोड़ लेते, उबालकर खा लेते तथा सत्कार्यों में, प्रभु…

दुर्योधन का दर्प

दुर्योधन को अहंकार दिखाये बिना चैन नहीं पड़ता था । पांडव वनवास में थे । दुर्योधन को महलों में संतोष न हुआ, अपने वैभव का प्रदर्शन करने जंगल के उसी क्षेत्र में गया, जहाँ पांडव रह रहे थे । वहाँ अपने को सर्व समर्थ सिद्ध करने के लिए मनमाने ढंग से जश्न मनाने लगा ।…

जल्दबाजी का दुष्परिणाम

एक राजा था । संसार का सबसे अधिक धनवान बनने की लालसा रखता था । एक सिद्धपुरुष उसके यहाँ पहुँच गए । स्वागत से प्रसन्न होकर वर माँगने को कहा । राजा ने जल्दबाजी में माँग लिया-“जो हाथ से छू लूँ, वह सोना हो जाय ।” वरदान मिल गया । राजा प्रसन्न था कि जिस…

सोने का अंडा

एक आदमी के पास रोज एक सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी । अंडे को बेचकर वह मजे में गुजारा चलाता । एक दिन लालच उसके सिर सवार हुआ और उसने सोचा क्यों न मुर्गी का पेट चीर कर एक ही दिन में सारे अंडे निकाल कर तुर्त-फुर्त मालदार बना जाय । उसने ऐसा…

दो मुँह वाला जुलाहा

एक जुलाहे का कर्धा टूट गया और उसके लिए लकड़ी काटने वह पास के जंगल में गया । सूखा पेड़ एक ही दीखा और वह उसे काटने लगा । उस पेड़ पर एक यक्ष रहता था । उसने कहा- “इस पर मेरा निवास है, इसे मत काटो । अपना चलाने के लिए कोई वरदान माँग…

मलीन पोखरी

दो छोटी-छोटी पोखरी थीं, इसका पानी उसमें, उसका पानी इसमें होता रहता था । कोई प्रयोग नहीं करता था । पानी में काई, कीड़े पड़ गए थे । उनका दु:ख सुनकर भी प्रभु ने कहा- ” पूर्व जन्म में यह सगी बहनें भी थीं और देवरानी-जेठानी भी । दोनों ही स्वार्थिनें थीं । कोई दान-…

दुःखी आम

जगन्नाथ माहात्म्य कथा में एक मार्मिक प्रसंग है। भक्त भगवान के पास जा रहा था । मार्ग में जो मिलता था, भगवान के लिए अपना भी संदेश दे देता था । एक आम का वृक्ष मिला । उसके फलों में कीड़े लग जाते थे । कोई उपयोग नहीं कर पाता था। आम दुःख सुनकर भगवान…

चुहिया ने चुना चूहा

एक सिद्ध पुरुष नदी में स्नान कर रहे थे । एक चुहिया पानी में बहती आई । उनने उसे निकाल लिया । कुटिया में ले आये और वह वहीं पल कर बड़ी होने लगी । चुहिया सिद्ध पुरुष की करामातें देखती रही, सो उसके मन में भी कुछ वरदान पाने की इच्छा हुई । एक…

स्वार्थी इक्कड़ की दुर्गति

एक हाथी बड़ा स्वार्थी और अहंकारी था । दल के साथ रहने की अपेक्षा वह अकेला रहने लगा । अकेले में दुष्टता उपजती है, वे सब उसमें भी आ गयीं । एक बटेर ने छोटी झाड़ी में अंडे दिए । हाथियों का झुंड आते देखकर बटेर ने उसे नमन किया और दलपति से उसके अंडे…

पांडव बनाम कौरव

भीष्म पितामह ने राजकुमारों को शिक्षा-दीक्षा के लिए एक जैसी सुविधाएँ उपलब्ध करायी थीं। पांडवों ने उनमें से शालीनता-सहयोग का मार्ग चुना, कौरवों ने उद्दंडता और द्वेष का । दोनों ने मा के अनुसार गति पाई । भगवान् श्रीकृष्ण ने दोनों को चुनाव का समान अधिकार दिया था। एक ने साधन वैभव-सेना की चाह की,…

सफल और लोकप्रिय शासक

एक दिन श्वेता सिंहनी अपने बेटे के साथ दंडकारण्य वन में घूमने निकली। उसका बेटा महाराज पीताभ अभी कुछ दिनों पहले ही जंगल का राजा चुना गया था। सभी जानवरों ने मिलकर सर्वसम्मति से उसका चुनाव किया था । वन में सहसा ही श्वेता के कानों में एक करुणा भरी पुकार पड़ी। उसने चौंककर इधर-उधर…

संकल्प

अभय अपने भाई-बहिनों में सबसे बड़ा था। उसके माता-पिता उसे बड़ा स्नेह करते थे। उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा योग्य बने, गुणवान बने- उसे निरंतर अच्छी बातें सिखाते रहते। अभय भी माता-पिता का कहना मानता, उनको प्रसन्न रखने के लिए अच्छे-अच्छे काम करता, अच्छे गुणों को अपनाता, पर अभय के बहुत सारे अच्छे गुण…

भाइयों का स्नेह

अभयारण्य में अनेक जीव-जंतु रहा करते थे। मुनमुन और चुनचुन खरगोश भी उन्हीं में से थे। वे दोनों सगे भाई थे। दोनों ही एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे, पर एक बार कुछ जानवरों ने दोनों को भड़का दिया। वे दोनों आपस में लड़ पड़े और अलग-अलग रहने लगे। उनकी लड़ाई देखकर कुछ दुष्ट…

स्वर्ग का सुख

अभयारण्य में चंपा नाम की एक बंदरिया रहा करती थी। उसे बच्चों से बड़ा प्यार था, पर दुःख की बात थी उसके अपना कोई बच्चा न था इस बात से रात-दिन खिन्न रहा करती थी। तब उसके पति ने उसे समझाया ‘देखो चंपा, यों मन ही मन घुलने से कोई फायदा नहीं, उल्टे तुम्हारा स्वास्थ्य…

यात्रा

गंगोत्री भारत का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। हिमालय पर्वत से उतरकर गंगा की धारा जहाँ समतल मैदान में आती है वह स्थान ही गंगोत्री है। प्रकृति की सुदंरता को देखने का यह बड़ा ही सुदंर स्थान है। मनीष और प्रशांत ने भी इसी बार गर्मियों में गंगोत्री जाने का विचार किया। वे दोनों घनिष्ठ…

चींटी और मधुमक्खी

गर्मियों के दिन थे। सूरज भगवान गुस्सा होकर मानो आग की वर्षा-सी कर रहे थे। जीव-जंतु सभी इस भीषण गर्मी से परेशान थे। परेशान मन्नू चींटी भी थी पर वह सुबह से लगातार काम कर रही थी। इस भयंकर गर्मी के बाद निश्चित रूप से वर्षा होने वाली थी। मन्नू के बिल का सारा राशन…

समाज के शत्रु

दंडकारण्य में जब सिंहों का राजा मर गया तो उन्होंने नए राजा का चुनाव किया। दिवाकर को सभी सिंहों ने अपना राजा चुना । नए पद पर आकर दिवाकर ने सोचा कि अब मुझे इनके विश्वास की रक्षा करनी चाहिए, मुझे अपना अधिक से अधिक समय प्रजा की भलाई में ही व्यतीत करना चाहिए। दिवाकर…

बीमारियों की जड़

एक बार भास्कर नाम का एक सिंह और उसकी पत्नी रानी घूमते-घूमते अपनी गुफा से बहुत दूर निकल गए। बातों ही बातों में उन्हें रास्ते का कुछ पता ही न रहा और वे नदी के पार बसे हुए दंडकारण्य वन में जा पहुँचे। रानी को यह वन बहुत अधिक पसंद आया। चारों ओर पहाड़ियाँ उनकी…

व्यक्तित्व की परख

एक बार हाथियों का एक झुंड हिमालय की उपत्यकाओं में घूम रहा था तभी सहसा जोरों का तूफान आया। सभी तेजी से भागने लगे। जिसे जिधर से रास्ता सूझा, वह उधर भागने लगा। जरा सी देर में झुंड तितर-बितर हो गया। भटकता हुआ हाथी सुरक्षित स्थान खोजते खोजते एक छोटी-सी गुफा के पास पहुँचा। उसमें…

मोटा गुल्लू

चन्दो चुहिया का एक ही बच्चा था। वह उसे प्यार से गुल्लू कहकर पुकारती थी। इकलौता होने के कारण चंदो उसको कुछ ज्यादा प्यार करती थी। यह भी कहना अनुचित न होगा कि उसने प्यार-प्यार में गुल्लू को बिगाड़ दिया था। वह गुल्लू को किसी काम से हाथ न लगाने देती। सारे काम खुद ही…