दो मुँह वाला जुलाहा
एक जुलाहे का कर्धा टूट गया और उसके लिए लकड़ी काटने वह पास के जंगल में गया । सूखा पेड़ एक ही दीखा और वह उसे काटने लगा ।
उस पेड़ पर एक यक्ष रहता था । उसने कहा- “इस पर मेरा निवास है, इसे मत काटो । अपना चलाने के लिए कोई वरदान माँग लो ।”
काम जुलाहा कोई लाभदायक वरदान माँगने की बात सोचने लगा । सोचते-सोचते एक बात समझ में आयी, कि दो हाथों की जगह चार हाथ और एक सिर की जगह दो सिर माँग लिए जाँय । चार हाथों से दुगुना कपड़ा बुना जा सकेगा । दो सिरों पर लाद कर हाट तक दूने बजन की पोटली ले जाई जा सकेगी ।
यक्ष ने मनोरथ पूरा कर दिया । इस विचित्र आकृति को लेकर वह घर लौटा, तो कौतूहल देखने सारा गाँव इकट्ठा हो गया । पत्नी भयभीत होकर छिप गई । मुहल्ले वालों ने उसे भूत-प्रेत समझा और ईंट-पत्थरों से मार डाला ।
सीख: साधारण स्तर बनाये रहने में ही भलाई है।