सोने का अंडा
एक आदमी के पास रोज एक सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी । अंडे को बेचकर वह मजे में गुजारा चलाता । एक दिन लालच उसके सिर सवार हुआ और उसने सोचा
क्यों न मुर्गी का पेट चीर कर एक ही दिन में सारे अंडे निकाल कर तुर्त-फुर्त मालदार बना जाय । उसने ऐसा ही किया । उतावली में एक अंडा मिलने का लाभ भी हाथ से चला गया और पछताने के अतिरिक्त और कुछ हाथ न लगा ।