पांडव बनाम कौरव

भीष्म पितामह ने राजकुमारों को शिक्षा-दीक्षा के लिए एक जैसी सुविधाएँ उपलब्ध करायी थीं। पांडवों ने उनमें से शालीनता-सहयोग का मार्ग चुना, कौरवों ने उद्दंडता और द्वेष का । दोनों ने मा के अनुसार गति पाई । भगवान् श्रीकृष्ण ने दोनों को चुनाव का समान अधिकार दिया था। एक ने साधन वैभव-सेना की चाह की, दूसरे ने मार्गदर्शन की ।

सीख: जो मार्ग चुना गया, अनुरूप गति मिली ।

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