दो भाई

आगरा में लाल किला के पीछे नीम का एक पुराना पेड़ है उस पेड़ पर कौवे रहते थे । बड़े का नाम था किशनू और छोटे का नाम था- विशू । यद्यपि वे दोनों सगे भाई थे, पर उनके स्वभाव में काफी अन्तर था । बड़ा भाई जितना सज्जन था तो छोटा उतना ही दुर्जन…

सपने की सीख

केशव की शरारतों से पूरा घर परेशान था । उसकी शरारतों का ओर-छोर नहीं था। स्कूल से आया, बस्ता पटका, खाया-पिया और कर दिया अपनी शरारतों का दौर शुरू। कभी पीछे से आकर बहिन की चोटी खींचकर भाग जाता, तो कभी खाना पकाती माँ की गैस ही चुपके से बन्द कर जाता । कभी चूहे…

मित्रता का अन्त

अन्ना चुहिया बड़ी आलसी थी। कुछ काम-काज न करती तो न सही, पर जुबान की भी बड़ी तीखी थी। वह इतनी कड़वी बातें करती कि सभी का जी उससे भर गया । एक दिन उसकी किसी बात से नाराज होकर सभी चूहे-चूहियों ने उसे बिल से बाहर निकाल दिया । बिना सोचे-समझे बोलने वाला, कटु…

गायों की गोष्ठी

उस दिन एक बड़े चारागाह में बहुत-सी गायें इकट्ठी हुई । गायों के झुण्ड से पूरा चारागाह भर गया । हरी-हरी घास चरती, इधर-उधर घूमत- भार्ती, जुगाली करती गायें बड़ी ही प्यारी लग रही थीं । बरसात का मौसम था । आसमान में हल्के-हल्के बादल छाये थे । ठण्डी-ठण्डी हवा बह रही थी । जब…

कहानी एक चित्र की

‘देखो । शशांक यह चित्र कैसा है ?’ राकेश ने एक चित्र ! दिखाते हुए अपने मित्र से पूछा । ‘सुन्दर, बहुत ही सुन्दर ।’ शशांक उसे देखकर उछल पड़ा । फिर पूछने लगा–‘ पर दोस्त ! तुमने इसे कैसे बनाया है ?’ ‘कबूतर, चिड़ियों के झड़े हुए पंखों और जली हुई तीलियों आदि बेकार…

पोल खुल गयी

एक थे बगुला भगत । जब वह बुड्ढे हो गये तो उनके खाने की एक बड़ी समस्या हो गयी । बुढ़ापे के कारण शरीर भी अशक्त-सा हो गया था । अतएव शिकार करने में उन्हें बड़ी परेशानी होती थी । भरपेट खाना न मिल पाने के कारण वे धीरे- धीरे दुबले हो गये । ‘ऐसे…

ज्योतिषी सियार की करामात

एक बार भासुरक सिंह अपने राजदरबार में बैठा था । सभा जुड़ी हुई थी, बानर, हाथी, चीता आदि सभी सभासद अपने-अपने आसनों पर बैठे थे। तभी द्वारपाल ने प्रवेश किया और कहा- ‘महाराज ! दूर देश से कोई जानवर आपके दर्शन करने आया है ।’ सिंह ने उसे अन्दर बुलाने की आज्ञा दे दी ।…

आलसी को सजा

मनु चींटी बड़ी आलसी थी । उसके बिल की सारी चीटियाँ दिन-रात काम में जुटी रहती थीं, पर मनु कभी सिर दर्द का बहाना बनाती, तो कभी पेट दर्द का । कभी बुखार की शिकायत करती, तो कभी चक्कर आने की । इस प्रकार वह काम से बचने का कोई न कोई बहाना खोजती रहती…

माँ और बच्चे

दिल्ली में कुतुबमीनार के पास शैला नाम की एक चुहिया रहा करती थी । उसके दो छोटे-छोटे बच्चे थे। एक का नाम था-चीनू और दूसरे का बीनू । शैला दोनों बच्चों को बहुत प्यार करती थी । यहाँ तक कि वह उनके किसी काम में रोक-टोक भी न करती थी । जैसा वे चाहते करने…

न्यायी राजा

अभयारण्य में प्रताप नाम का सिंह राज्य करता था। राजा को राजकार्य में सहायकों की, मंत्रियों की जरूरत होती ही है। प्रताप के भी अनेक मंत्री थे । प्रताप मंत्रियों का चुनाव बड़ा ही सोच-विचार कर करता था । जो अच्छे विचार वाला, सदाचारी, प्रजा का हित चाहने वाला होता था, वही प्रताप का मंत्री…

नन्दू की नौकरी

नन्दू के पिता बचपन में ही मर गये थे । छोटे-छोटे भाई-बहिन थे । नन्दू की माँ सारे दिन जी तोड़कर | मेहनत करतीं तब कहीं जाकर उन्हें रूखी-सूखी रोटी मिल पाती । नन्दू तेरह ही साल का था । उसकी माँ एक दिन कहने लगी- ‘बेटा ! अब तुम बड़े हो गये हो ।…

घास की चोरी और जमाखोरी

ऐक बहोत बडा अभयारण्य था । अभयारण्य में खरगोशों की एक बस्ती थी । वहाँ अनेकों खरगोश अपने परिवारों के साथ रहा करते थे । उनका मुखिया भी बड़ा दयालु, परोपकारी और सबकी सहायता करने वाला था । सभी सुख-शान्ति से रहा करते थे । खरगोशों का मुखिया पुनीत सभी खरगोशों को अनेक अच्छी बातें…