लल्लू कैसे बदला
लल्लू कौवे के माता-पिता बचपन में ही मर गये थे । उसे पाला भी उसकी मौसी ने ही था । बचपन में लल्लू बुरी संगत में पड़ गया था । इससे वह बहुत शरारती भी हो गया था । कई बुरी आदतें उसमें आ गयी थीं ।
वह चोरी करने लगा था और दूसरों की चीजें छीनकर भी भाग खड़ा होता था । वह जब चाहे जिस को परेशान ही करता रहता था । किसी के कहने-सुनने का लल्लू पर कोई असर ही न होता था ।
एक दिन चंचल गिलहरी अपने बच्चे को रोटी का टुकड़ा खाने को दे गयी । वह नदी पर पानी लेने गयी थी। बस इतनी देर मे कहीं से उड़ता हुआ लल्लू आ गया। पीछे से वह चुपचाप । से गिलहरी के मुँह से रोटी का टुकड़ा छीन कर ले गया । डाल पर बैठकर लल्लू उसे खाने लगा ।
गिलहरी का छोटा बच्चा रो उठा । उसे खूब जोर से लग रही थी । ‘ऊँ-ऊँ ! मामा मेरी रोटी मुझे दे दो । वह बच्चा रोते-रोते बोला । भूख लल्लू ने अपनी गर्दन नचाकर उसे और भी चिढ़ाया । काँव-काँव करते हुए लल्लू रोटी लेकर दूसरे पेड़ पर जा बैठा । गिलहरी का बच्चा रोता का रोता ही रह गया ।
एक दिन सोनू कुत्ता रसभरी पूरी खा रहा था । आधी पूरी उसने खाई, फिर जमीन में एक गड्ढा खोदा और आधी पूरी उसमें दवा दी । सोनू ने अपने दोस्त भानू के लिए वह रख थी । लल्लू कौवा चुपचाप यह देख रहा था ।
सोनू के जाते ही पेड़ से उतरा । अपनी चोंच से उसने गड्ढा खोदा, फिर पूरी निकाली और पूरी को पंजे में दबाकर वह उड़ गया । नीम के पेड़ पर बैठकर स्वाद ले-लेकर उसने वह पूरी खायी ।
उधर सोनू ने भानू को पूरी गाढ़ने की बात बता दी थी । थौड़ी देर बाद वह वहाँ आया । उसने देखा कि गड्ढा खुदा हुआ था, मिट्टी बिखरी हुई थी। पूरी का वहाँ नाम नहीं था ।
वह समझ गया कि जरूर किसी ने शरारत की है । सामने पेड़ पर बैठा लल्लू कौवा मीठी नींद सो रहा था । भानू समझ गया कि जरूर यह लल्लू की शरारत थी, क्योंकि लल्लू ऐसे कामों में सारे जंगल भर में बड़ा बदनाम था ।
भानू वहीं गड्ढे के पास बैठ गया । लल्लू की आँख खुली तो उसने निराश बैठे भानू को देखा । ‘कैसे बैठे हो ?’ लल्लू ने मन ही मन मुस्कराते हुए पूछा । ‘मैं यहाँ पूरी खाने आया था । मेरे दोस्त सोनू ने मेरे लिए उसे गाढ़ा था, पर कोई दुष्ट चुपचाप उसे निकाल ले गया ।’
भानू पूँछ हिलाते हुए बोला । लल्लू कौवा कहने लगा- ‘बुरा न मानना काका ! इस अच्छी पूरी को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया था । मैंने ही उसे निकाला था ।’
भानू समझाने लगा-‘लल्लू बेटा ! तुम चोरी करना छोड़ दो । चोरी करना कोई अच्छी बात नहीं है ।’
‘वाह ! इसमें चोरी की क्या बात हुई ?’ लल्लू पूछने लगा।
‘दूसरों की चीज को उनसे बिना पूछ लेना चोरी ही तो है । कोई देखे या न देखे, पर भगवान हमारे कामों को देखते हैं । बुरा करने वालों को वह सदैव दण्ड देते हैं । जो भी बुरा करता है, उसे एक न एक दिन उसका फल जरूर भुगतना पड़ता है ।’
भानूं बड़ा गंभीर होकर बोला ।’ऊँह ! बुड्ढों को भी हमेशा उपदेश देने की आदत-सी पड़ जाती है ।’ यह कहकर लल्लू ने मुँह बिराया, पंख फड़फड़ाए और उड़ चला ।
बड़ों के उपदेश सुनते-सुनते लल्लू तंग हो गया था । भानू काका, सोनी गाय, चंचल गिलहरी, कालू कौवा सभी उसे चोरी न करने का उपदेश देते थे, पर लल्लू कौवे को उनकी सारी बातें बेकार ही लगती थीं। क्योंकि उस कौवे को अभी तक कोई भी सबक नहीं मिला था ।
पर बुरा काम करने वालों को एक न एक दिन दण्ड मिलता ही है । बुरे कामों से कभी सफलता नहीं मिला करती । बुरा काम करने वालों को सभी तिरस्कार की दृष्टि से देखते हैं । लल्लू को भी देखकर जंगल के सारे जानवर अपना मुँह फिरा लेते थे ।
कोई उससे ठीक से बात करना पसन्द न करता था । कोई भी अपने बच्चों को उसके साथ खेलने ही नहीं देता था । वह अपने को बड़ा ही अकेला महसूस किया करता था ।
चोरी करके, छीन-झपट करके जो माल वह लाता था तो उसे लोमड़ी काकी लल्लू कौवा को बहला-फुसलाकर ले जाती तो कभी चम्पू गीदड़ लल्लू की अधिक चापलूसी करके उस माल पर हाथ साफ करता ।
एक दिन लल्लू को बुखार आ गया । उससे हिला भी नहीं जा रहा था । नीम के पेड़ पर बने अपने कोटर में सारे दिन वह प्यासा बैठा रहा । लोमड़ी काकी और चम्पू गीदड़ उस दिन आये ।
लल्लू उनसे दो घूँट पानी लाने की कह कहकर थक गया, पर उन दोनों में से किसी ने भी पानी लाकर नहीं दिया । वे तो उस दिन भी लल्लू कौवा का माल हड़पने के लिये आये थे । लाचार होकर वह प्यासा ही तरसता रहा ।
लल्लू अपने कोटर में बैठा-बैठा यही सोचता रहा कि बुरे काम करने वाले से अधिक अभागा और कोई नहीं है । उसे अन्त में बड़ा पश्चात्ताप ही करना पड़ता है । विपत्ति में उसका कोई सहायक नहीं हुआ करता । बुरे काम का फल भी कभी न कभी मिलता ही है । समाज में एक-दूसरे से मिल-जुलकर रहना चाहिये ।
एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिये । तभी वे संकट के समय भी हमारी सहायता करेगे । तभी दूसरे हमें अधिक से अधिक प्यार करेंगे और हमको सहयोग देंगे ।
लल्लू उसी दिन से बदल गया है । विचार बदलने पर व्यवहार भी बदल जाया करता है । अब वह दूसरों की कोई भी चीज नहीं छीनता, चोरी नहीं करता । वह सदैव दूसरों की भलाई करता है ।
सबकी सहायता करता है । जंगल के सारे जानवर और पक्षी बड़ा ही आश्चर्य करते हैं कि लल्लू कैसे बदल गया ? अब वे सब उसकी प्रशंसा ही करते रहते हैं ।