आदर्श चिकित्सक

मैसूर राज्य के एक छोटे-से गाँव मणिपाल में जन्मे डॉ० पाई डॉक्टरी की उच्च शिक्षा प्राप्त करके जैसे ही निकले, वैसे ही नौकरियों के प्रस्तावों का ढेर लग गया; पर उनने उन सबको अस्वीकृत करते हुए अपनी जन्मभूमि तथा समीपवर्ती पिछड़े क्षेत्रों की सेवा करने का निश्चय किया और वहीं एक छोटी- सी डिस्पेंसरी खोल कर जम गए । निर्धन रोगियों की भीड़ से अस्पताल खचाखच भरा रहता था । नाम मात्र के पैसे से लोग भारी लाभ उठाने लगे।

अब डॉक्टर साहब का ध्यान अपने क्षेत्र में शिक्षा-व्यवस्था बनाने तथा आर्थिक सुविधायें उत्पन्न करने की ओर गया तथा इन्हें पूरा करने का निश्चय किया । इन निःस्वार्थ प्रयत्नों में उन्हें सरकारी और गैर सरकारी सहयोग पूरा- पूरा मिला । छोटी स्थापनायें क्रमशः बढ़ते-बढ़ते उन्नति के चरम शिखर तक पहुँचीं ।

उस क्षेत्र में उनने अनेक विद्यालय खुलवाये, सहकारी बैंकें स्थापित करायीं; महिलाओं के लिए नर्सिंग स्कूल खुलवाया । छोटे-से सिंडीकेट बैंक की अब छः राज्यों में एक सौ नवासी शाखाएँ हैं । गाँधी मैमोरियल कॉलेज तथा मणिपाल मेडीकल कॉलेज उन्हीं की स्थापना है ।

उस पिछड़े क्षेत्र को हर दृष्टि से डॉक्टर साहब ने इतना समुन्नत बनाया कि लोगों के लिए वह दर्शनीय तीर्थ बन गया ।

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