वुड्रेज की सफल श्रम साधना
ओलंपिक खेलों का नाम आज संसार के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है । इस स्थिति में लाने का श्रेय वुड्रेज को जाता है । उनने बहुत छोटे संगठन को विश्व स्तर का बनाया और सशक्त राष्ट्र, जो धींगामस्ती करते और मनमानी चलाते थे, उसे सूझ-बूझ और साहस के साथ दिशा दिखाई। आज १६ हजार उच्च कोटि के खिलाड़ी इस माध्यम से ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे हैं ।
कभी खेल-कूद को गँवारों का शुगल समझा जाता था । वुड्रेज की रचनात्मक बुद्धि ने उसे वह स्थान दिलाया कि उसे सम्मानित योग्यता माना जाने लगा । इससे उत्साह ग्रहण कर सारे संसार में व्यायाम के पक्ष में वातावरण बना है और उसका प्रभाव छोटे-छोटे गाँवों पर पड़ा है । लोगों की उछल-कूद की अनियंत्रित आदत को खेल भावना के अनुशासित साँचे में ढालने में बुंड्रेज के अथक श्रम को सदा श्रेय दिया जाता रहेगा ।
सारे विश्व में उसका और उसकी खेल योजना का नाम गौरव के साथ लिया जाता है ।