चुलबुल का जन्मदिन

बाड़े के सारे जानवर उस दिन बड़े खुश थे। उन्हें शाम को चुलबुल खरगोश के जन्मदिन के उत्सव में जाना था । चुलबुल के माता-पिता का नाम था – मीना और प्रकाश । उनसे सभी जानवर बड़े प्रसन्न रहते थे।

मीना और प्रकाश सदैव दूसरों की सहायता करते थे । विनम्रता से बोलते थे, पड़ौसियों से मित्रता का व्यवहार करते थे । दूसरों के दुःख – मुसीबत में साथ देते थे । यही कारण था कि सभी जानवर उन्हें चाहते थे ।

चुलबुल के जन्मदिन के अवसर पर जाने के लिये वे कई दिनों से प्रतीक्षा कर रहे थे । सभी जानवरों ने कुछ न कुछ उपहार एकत्रित कर | दिये थे । सोनी गाय ने हरी-हरी घास इकट्ठी कर ली ।

मोनी बकरी खेत से गाजर-मूली उखाड़ लाई थी । लाली मुर्गी | ने दाना इकट्ठा कर लिया था । मिक्की बतख नदी किनारे से कमल के फूल तोड़ लायी । सभी अपने-अपने उपहार लेकर झुण्ड बनाकर बाल-बच्चों सहित चुलबुल खरगोश के घर चले ।

चुलबुल खरगोश के घर उस दिन बड़ी रौनक थी । उसकी माँ मीना ने घर की खूब सफाई की थी और घर को खूब सजाया था । जगह-जगह फूलों के गुलदस्ते लगाये थे । तरह-तरह की खुशबू से सारा घर महक रहा था ।

मीना और प्रकाश स्वागत के लिये दरवाजे पर खड़े थे । उन्होंने हाथ जोड़कर, सफेद-सफेद दाँत निकालकर, हँसते हुए सभी मेहमानों का स्वागत किया । वे उन्हें घर के अन्दर ले गये ।

मीना का घर देखकर सभी मेहमान बड़े खुश हुए । जल्दी ही जन्मदिन का उत्सव शुरू हुआ । सभी जानवरों ने अपने-अपने उपहार दिये । मीना और प्रकाश बोले- ‘इतना सब कुछ लाने की क्या जरूरत थी ?’

मोनी बकरी बोली- ‘बहिन ! ये सारी चीजें हम चुलबुल के लिये लाये हैं । तुम मना न करो । हम कोई कीमती उपहार नहीं लाये । साधारण-सी चीजें लाये हैं ।’

प्रकाश खरगोश कहने लगा- ‘भाइयो और बहिनो ! तुम सभी चुलबुल खरगोश को आशीर्वाद दो, जिससे वह अच्छा बने । शुभकामनाओं और आशीर्वादों में अपार शक्ति होती है । वे हमें अच्छा ही बनाते हैं ।’

अब आशीर्वादों का क्रम आरम्भ हुआ । सोनी गाय सबसे बड़ी थी । सबसे पहले वह उठी और बोली- ‘चुलबुल ! ईश्वर तुम्हें सद्बुद्धि दे । तुम सदैव अच्छी-अच्छी बातें सोचो ।’ मोनी बकरी ने कहा- ‘चुलबुल ! तुम सदैव ही मन और शरीर से स्वस्थ रहो ।’

लाली मुर्गी ने कहा- ‘चुलबुल तुम सदैव अपने माता-पिता और गुरुजनों का कहना मानो, सम्मान करो । उनका आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ रहे ।’

मिक्की बतख बोली- ‘चुलबुल भैया ! तुम खूब बहादुर बनो । अपने अच्छे कामों से सदा प्रसिद्धि पाओ ।’

इसके बाद चंचल गिलहरी बोली- ‘भाइयो और बहिनो ! हम जन्मदिन इसलिये मनाते हैं कि अच्छे बन पायें । इस दिन हम अच्छे कार्य करने का व्रत लें, फिर पूरे वर्ष वह कार्य करते रहें । मैं भतीजे चुलबुल से आग्रह करुँगी कि आज के इस शुभ दिन वह एक बुराई छोड़े और एक अच्छाई अपनाये ।’

चंचल गिलहरी के इस कथन पर सभी ने तालियाँ बजाकर प्रसन्नता प्रकट की । चुलबुल की माँ बोली- ‘चुलबुल बेटे ! आज के इस शुभ दिन पर तुम अपनी एक बुराई छोड़ दो ।’

चुलबुल कुछ सोचता रहा । फिर बोला- ‘माँ ! तुम्हीं बताओ, आज कौन-सी बुराई छोड़ने का व्रत लूँ ।’

चुलबुल की माँ मीना कहने लगी- ‘तुम सुबह देर तक सोते रहते हो । प्रतिज्ञा करो कि अब तुम जल्दी उठोगे । सूर्योदय के बाद नहीं सोओगे । सुबह देर तक सोने से कोई फायदा नहीं है । उससे हानि ही हानि है ।’

चुलबुल ने सभी के सामने प्रतिज्ञा की प्रातःकाल जल्दी उठा करेगा । कि अब वह प्रकाश खरगोश बोला- ‘बेटे ! गिलहरी बुआ के अनुसार तुम एक अच्छाई का पालन करने की प्रतिज्ञा और लो ।’

चुलबुल खरगोश थोड़ी देर तक सोचता रहा फिर बोला- ‘मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि सभी की सहायता किया करूँगा ।’

सभी को चुलबुल की बात सुनकर बड़ी प्रसन्नता हुई । मोनी बकरी बोली- ‘चुलबुल तुम बड़े होकर खूब अच्छे बनो । हम सबका यही आशीर्वाद है ।’

इसके बाद प्रीतिभोज हुआ । मीना और प्रकाश ने सभी को शानदार दावत दी । बेर, गाजर, अंगूर, चेरी और न जाने कितनी ही चीजें खिलायीं । अतिथियों ने बड़े प्रेम से वे सारी चीजें खार्थी । मेहमानों ने मीना की कुशलता की बड़ी प्रशंसा की ।

दावत के बाद कलिया कोयल ने सबको गाना सुनाया । चुलबुल खरगोश ने अतिथियों को अपना नाच दिखाया । सब का खूब मनोरंजन हुआ । फिर प्रकाश और मीना ने सभी अतिथि जानवरों को थोड़े-थोड़े अंगूर उपहार में देकर विदा किया ।

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