1 | यात्रा | गंगोत्री की यात्रा ने प्रशांत का न केवल शरीर और मन ही स्वस्थ बना दिया था। अपितु जीवन की परिस्थितियों के प्रति उसका दृष्टिकोण भी आशावादी बना दिया था। |
2 | स्वर्ग का सुख | स्नेह और त्याग से भरा परिवार ही स्वर्ग का सुख देता है |
3 | विदुर का भोजन और श्रीकृष्ण | ऐसी सुविधाएँ न भगवान ही स्वीकार करते हैं, न उनके भक्त । |
4 | दान बना अभिशाप | यदि कर्तव्य की मर्यादा में ही वह वरदान का उपयोग करता, तो शिव के स्नेह और संस्कार के यश का भागीदार बनता । |