आज से 25-30 साल पीछे जाके देंखे तो बच्चों के पास मनोरंजन के ज्यादा विकल्प उपलब्ध नही थे और ज्यादातर लोग संयुक्त परिवार में रहते थे तो बच्चे श्याम को अवकाश के समय या रत को सोने से पहले आपनी दादी से कहानियाँ सुनते थे।
यह कहानिया दादी ने अपनी दादी से सुनी हुई होती है, जिसका मतलब से कई सालों से चलती आ रही एसी कहानी में दादी अपने पुरे जीवन का अनुभव जोड़ कर बच्चेको सुनाती है, एसी पीढ़ियों के अनुभव वाली, सलाह से भरपूर, भिन्न विचार वाली कहानी बच्चे के व्यक्तित्व विकास में बहुत मदद करती है। दादा-दादी के मुख से निकलने वाली अधिकांश कहानियां हमारे प्राचीन भारतीय साहित्य का ही परिवर्तित स्वरूप हैं। धीरे-धीरे इसमें विश्व-प्रसिद्ध कथाओं का भी समावेश हो गया।
चचेरे भाई बहन सब रात में दादी के अगल बगल इकट्ठे हो जाते थे, और दादी की रस भरी कहानी सुनकर सो जाया करते थे।
परन्तु आज परिवार छोटे हो रहे है, दादा-दादी पास नहीं रहते और बच्चे भी मोबाइल-टीवी में रहना ज्यादा पसंद करते है। एसे समय में मोबाइल और इन्टरनेट पर दादी की कहानियाँ मिल सके इसके लिए हमने यहा पर दादी की कहानी का पूरा संग्रह दिया है।
क्रम | दादी की कहानी | कहानी से सिख |
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