कपिला लोमड़ी

अमरकण्टक वन में कपिला नाम की एक लोमड़ी रहती थी । वह बड़ी ही चालाक और घमण्डी थी । खरगोश, चूहे, मुर्गी, मेमनों आदि को वह मार कर खा जाया करती थी । वह बड़ी फुर्तीली थी, लेती थी । इसलिये तुरन्त शिकार कर एक दिन कपिला ने कई मुर्गियाँ मारीं । कुछ मुर्गियाँ उसने…

शाल बकरी

शालू बकरी की माँ रोज सुबह जंगल की ओर चली जाती थी । घर पर रह जाती थी अकेली शालू । शालू का मन करता था कि वह भी बाहर घूमे । शालू चाहती थी कि उसके भी मित्र बनें, पर शालू की माँ की आज्ञा थी कि वह घर से बाहर कहीं भी न…

नन्दू को दण्ड

नन्द्र चूहे में एक बुरी आदत थी, वह थी बहुत बोलने की । हर समय वह कुछ न कुछ बोलता ही रहता था । उसकी माँ उसे समझाया करती थी कि बेटा ! बहुत बोलने की आदत ठीक नहीं है । व्यर्थ बोलने में बहुत-सी शक्ति खर्च होती है । काम की बात ही बोलो,…

मित्र की पहिचान

अमरकण्टक वन में एक पेड़ के नीचे रानी चींटी का घर था । एक बार अमरकण्टक वन में अकाल पड़ा । उसकी वजह से जीव-जन्तुओं को खाना मिलना भी मुश्किल हो गया । रानी की सारी सेना, सारे ही परिवार के अकाल में मर गये । रह गयी अकेली रानी चींटी । सदस्य उस पहले…

जुगनओं की कैद

एक बार सुन्दरकानन में कुछ आदिवासी घूमते हुए आ गये । उस वन की सुन्दरता से वे बड़े प्रसन्न हुए । उन्होंने वहाँ कुछ दिन रुकने का निश्चय किया । दिन में तो सूरज की रोशनी रहती है, इसलिये उनका काम चल जाता था, पर रात में उस वन में घोर अँधेरा छा जाता था।…

लल्लू कैसे बदला

लल्लू कौवे के माता-पिता बचपन में ही मर गये थे । उसे पाला भी उसकी मौसी ने ही था । बचपन में लल्लू बुरी संगत में पड़ गया था । इससे वह बहुत शरारती भी हो गया था । कई बुरी आदतें उसमें आ गयी थीं । वह चोरी करने लगा था और दूसरों की…

गुस्से का फल

चम्पू बन्दर की शरारतों से अमरकण्टक वन के सारे जानवर बड़े परेशान थे । उसकी शरारतों का कोई अन्त न था । कभी वह पेड़ की छाया में सोते हुए किसी भालू की पूँछ खींचकर भाग जाता । कभी किसी बूढ़े जानवर का खाना छीन लेता । कभी किसी सोते जानवर पर पानी ही छिड़क…

पक्षियों की पंचायत

अमरकण्टक जंगल में पीपल के एक पेड़ पर बहुत से पक्षी रहा करते थे । चित्रग्रीव कबूतर, सोनी चिड़िया, हरियल तोता मानी मैना, नन्दा कौवा एवं और भी अनेकों पक्षी वहाँ आ सभी अपने-अपने घर का काम पूरा करके वहाँ आते थे । खाली समय में वे आपस में बतियाते थे । एक दिन मानी…

चुलबुल का जन्मदिन

बाड़े के सारे जानवर उस दिन बड़े खुश थे। उन्हें शाम को चुलबुल खरगोश के जन्मदिन के उत्सव में जाना था । चुलबुल के माता-पिता का नाम था – मीना और प्रकाश । उनसे सभी जानवर बड़े प्रसन्न रहते थे। मीना और प्रकाश सदैव दूसरों की सहायता करते थे । विनम्रता से बोलते थे, पड़ौसियों…

बुद्धिमती चुहिया

रानी चुहिया बरगद के एक बड़े पेड़ की जड़ में अपना बिल बनाकर रहती थी । उसके चार छोटे-छोटे बच्चे थे । रानी चुहिया बड़ी मेहनती थी । वह सारे दिन परिक्रमा करती और खाने के लिये खूब सारी चीजें जुटा लेती । जंगल में खाने-पीने की कमी भी न थी । इस प्रकार रानी…

दो भाई

आगरा में लाल किला के पीछे नीम का एक पुराना पेड़ है उस पेड़ पर कौवे रहते थे । बड़े का नाम था किशनू और छोटे का नाम था- विशू । यद्यपि वे दोनों सगे भाई थे, पर उनके स्वभाव में काफी अन्तर था । बड़ा भाई जितना सज्जन था तो छोटा उतना ही दुर्जन…

सपने की सीख

केशव की शरारतों से पूरा घर परेशान था । उसकी शरारतों का ओर-छोर नहीं था। स्कूल से आया, बस्ता पटका, खाया-पिया और कर दिया अपनी शरारतों का दौर शुरू। कभी पीछे से आकर बहिन की चोटी खींचकर भाग जाता, तो कभी खाना पकाती माँ की गैस ही चुपके से बन्द कर जाता । कभी चूहे…

मित्रता का अन्त

अन्ना चुहिया बड़ी आलसी थी। कुछ काम-काज न करती तो न सही, पर जुबान की भी बड़ी तीखी थी। वह इतनी कड़वी बातें करती कि सभी का जी उससे भर गया । एक दिन उसकी किसी बात से नाराज होकर सभी चूहे-चूहियों ने उसे बिल से बाहर निकाल दिया । बिना सोचे-समझे बोलने वाला, कटु…

गायों की गोष्ठी

उस दिन एक बड़े चारागाह में बहुत-सी गायें इकट्ठी हुई । गायों के झुण्ड से पूरा चारागाह भर गया । हरी-हरी घास चरती, इधर-उधर घूमत- भार्ती, जुगाली करती गायें बड़ी ही प्यारी लग रही थीं । बरसात का मौसम था । आसमान में हल्के-हल्के बादल छाये थे । ठण्डी-ठण्डी हवा बह रही थी । जब…

कहानी एक चित्र की

‘देखो । शशांक यह चित्र कैसा है ?’ राकेश ने एक चित्र ! दिखाते हुए अपने मित्र से पूछा । ‘सुन्दर, बहुत ही सुन्दर ।’ शशांक उसे देखकर उछल पड़ा । फिर पूछने लगा–‘ पर दोस्त ! तुमने इसे कैसे बनाया है ?’ ‘कबूतर, चिड़ियों के झड़े हुए पंखों और जली हुई तीलियों आदि बेकार…

पोल खुल गयी

एक थे बगुला भगत । जब वह बुड्ढे हो गये तो उनके खाने की एक बड़ी समस्या हो गयी । बुढ़ापे के कारण शरीर भी अशक्त-सा हो गया था । अतएव शिकार करने में उन्हें बड़ी परेशानी होती थी । भरपेट खाना न मिल पाने के कारण वे धीरे- धीरे दुबले हो गये । ‘ऐसे…

ज्योतिषी सियार की करामात

एक बार भासुरक सिंह अपने राजदरबार में बैठा था । सभा जुड़ी हुई थी, बानर, हाथी, चीता आदि सभी सभासद अपने-अपने आसनों पर बैठे थे। तभी द्वारपाल ने प्रवेश किया और कहा- ‘महाराज ! दूर देश से कोई जानवर आपके दर्शन करने आया है ।’ सिंह ने उसे अन्दर बुलाने की आज्ञा दे दी ।…

आलसी को सजा

मनु चींटी बड़ी आलसी थी । उसके बिल की सारी चीटियाँ दिन-रात काम में जुटी रहती थीं, पर मनु कभी सिर दर्द का बहाना बनाती, तो कभी पेट दर्द का । कभी बुखार की शिकायत करती, तो कभी चक्कर आने की । इस प्रकार वह काम से बचने का कोई न कोई बहाना खोजती रहती…

माँ और बच्चे

दिल्ली में कुतुबमीनार के पास शैला नाम की एक चुहिया रहा करती थी । उसके दो छोटे-छोटे बच्चे थे। एक का नाम था-चीनू और दूसरे का बीनू । शैला दोनों बच्चों को बहुत प्यार करती थी । यहाँ तक कि वह उनके किसी काम में रोक-टोक भी न करती थी । जैसा वे चाहते करने…

न्यायी राजा

अभयारण्य में प्रताप नाम का सिंह राज्य करता था। राजा को राजकार्य में सहायकों की, मंत्रियों की जरूरत होती ही है। प्रताप के भी अनेक मंत्री थे । प्रताप मंत्रियों का चुनाव बड़ा ही सोच-विचार कर करता था । जो अच्छे विचार वाला, सदाचारी, प्रजा का हित चाहने वाला होता था, वही प्रताप का मंत्री…