सबक

अमित के स्टोर की टाँड़ पर सोनी कबूतरी ने अपना घोंसला बनाया था। टाँड़ पर बहुत सा सामान भरा पड़ा था। एक बिस्तरबंद के पीछे, खिड़की के सहारे, सोनी ने कुछ आड़े-तिरछे तिनके रख लिए थे। वहीं उसने दो अंडे दिए। सोनी कबूतरी और मोना कबूतर दोनों बारी-बारी से अंडों की देख-भाल करते । थोड़े…

बंदर की नादानी

उस बरगद के पेड़ पर बहुत से प्राणी रहते थे, पर वे सभी चुन्नू बंदर की शैतानी से बहुत ही तंग आ गए थे। बात भी तंग होने की ही थी। चुन्नू कभी पीछे से चुपचाप जाकर किसी बूढ़े बंदर की पूँछ खींचकर भाग जाता। बंदर पीछे मुड़कर देखे, इतनी देर में चुन्नू गायब। कभी…

तीन मित्र

काली कौवा आज बड़ा उदास था। किसी काम में उसका मन नहीं लग रहा था। कभी वह इस पेड़ पर बैठता तो कभी उस पेड़ पर। काँव-काँव करता हुआ बेचैन सा घूम रहा था। “आओ! घूमने चलें।” बूढ़े गिद्ध ने कहा। “नहीं काका अभी नहीं जाऊँगा।” कहकर काली कौवा फिर उदास सा बैठ गया। असल…

स्नेह की शक्ति

छोटू और मोती खरगोश दोनों घूमने निकले। उनकी माँ कहने लगी – ” बच्चो ! बहुत दूर तक मत जाना। बहुत जल्दी ही घर वापस आ जाना।” “माँ तुम हमारी चिंता न करना।” हम जल्दी ही घर वापस आ जाएँगे। छोटू ने कहा । छोटू और मोती दोनों अभी छोटे थे। इसलिए उनकी माँ उन्हें…

परिश्रमी सदा सुखी

दत्ता नाम की एक मधुमक्खी बड़ी आलसी थी। उसकी सारी सहेलियाँ सुबह ही काम पर निकल जातीं, पर वह देर तक सोती रहती। दिन में भी पड़ी अलसाती रहती। कुछ भी काम करना उसे बुरा लगता था। अन्य मधुमक्खियाँ मेहनत करके पराग आदि भी इकट्ठा करतीं, शहद बनातीं, दत्ता उन्हें पड़े-पड़े खाती रहती। दत्ता का…

मित्रता की कला

यमुना नदी के किनारे केशू नाम का एक कछुआ रहता था। वह सदा अकेले-अकेले रहता था। पूरी नदी में उसका कोई मित्र नहीं था। केशू इस कारण बहुत उदास भी रहता था। आखिर कभी बातचीत करने को, मन की बात कहने को कोई तो चाहिए ही। केशू के मित्र न बनने का कारण उसका स्वभाव…

स्वावलंबन

नंदा लोमड़ी को अंगूर बड़े पसंद थे। वह जहाँ भी हरे-भरे अंगूरों के गुच्छे देखती, उसके मुँह में पानी भर आता, पर अंगूर उसे मुश्किल से ही खाने को मिलते। लंबू हाथी, पप्पू खरगोश, चंचल गिलहरी इनके यहाँ अंगूर की बेलें थीं। वे सभी बड़ी मेहनत से उन्हें उगाते थे। नंदा लोमड़ी सभी से अंगूर…

सुंदर की उदारता

पीपल के पेड़ के नीचे सोनू कुत्ता चुपचाप बैठा था। उसे बड़ी तेज भूख लग रही थी। कहीं से खाना मिल जाए यही सोचता हुआ वह बैठा था । तभी सुंदर कौआ उड़ता हुआ पीपल के पेड़ पर आया । उसकी चोंच में पूरी एक रोटी थी। रोटी देखकर सोनू की भूख और भड़क उठी।…

घमंडी कजरी

यों उस घर में अनेक पशु-पक्षी पले हुए थे। पिंजरे में बैठा हरियल तोता हर समय राम-राम कहता रहता था। सोनू कुत्ता बड़ी सजगता से घर की चौकीदारी करता था। गंभीर गौरी गाय सबको समझाया करती थी। लड़ाई होने पर वही न्याय करती थी। सफेद कबूतरों का जोड़ा बड़ी शान से इठलाता सारे घर में…

पोखर का जादू

दशहरे की छुट्टियों में मुरारी अपने गाँव खतौली आया। पूरे दो महीने बाद आया था वह । छुट्टियाँ कैसे बिताएगा ? यही सोचते- सोचते वह अपने घर जा पहुँचा। दरवाजे से ही पकवानों की सौंधी- सौंधी गंध उसकी नाक में घुसने लगी। वह सोच रहा था कि आज तो माँ ने उसके स्वागत की जोरदार…

राजा की सनक

बहुत दिन पहले समस्तीपुर जिले में एक राजा राज्य करता था। उसका नाम सुंदरसिंह था। यों सुंदरसिंह के पास प्रजा की भलाई के लिए अनेकों काम थे। जैसे कि वह जगह-जगह धर्मशाला बनवा सकता था, तालाब खुदवा सकता था। रिश्वत, भ्रष्टाचार और बेईमानी को दूर करने के उपाय सोच सकता था, पर राजा व्यर्थ की,…

सच्ची कमाई

सुंदर वन के सभी जानवर कालू कुत्ते से तंग आ गए थे। तंग होने का कारण उसका लालचीपन था। यों कालू कुत्ता सभी की भलाई किया करता था। उसमें परोपकार की भावना कूट-कूटकर भरी थी। वह दूसरे जानवरों की भाँति औरों की बुराई करने में अपना समय नहीं बिताया करता था। अपने इन गुणों के…

अपना काम अपने आप

जीतू को अपने मोती कुत्ते से बहुत प्यार था । वह उसकी खूब देखभाल करता था । रोज नहलाता था । रोज समय पर उसे खाना खिलाता था । जीतू मोती को बहुत-सी बातें सिखाता जैसे तेजी से दौड़ना, ऊपर उछलना, किसी चीज की पहिचान करना आदि । धीरे-धीरे मोती बहुत शरारती होता जा रहा…

भूत का भय

शिशिर को कहानी सुनने का बहुत शौक था । वह और उसकी बड़ी बहिन शैव्या दोनों रात को दादी माँ को घेर लेते और कहते- ‘दादी माँ ! हमें कहानी सुनाओ ।’ कभी वे शेर की कहानी की फरमाइश करते तो कभी राक्षस की कहानी की । उनकी दादी माँ को सैकड़ों कहानियाँ याद थीं…

प्रायश्चित

मुक्ति बड़ी होनहार लड़की थी । वह अपनी कक्षा में सदैव प्रथम आती थी और पुरस्कार जीतती थी । यही नहीं उसके सद्व्यवहार के कारण स्कूल में सभी उससे प्यार करते थे । वह सदैव सच ही बोलती थी । साथियों से प्यारी बातें करती थी । सबकी सहायता करती थी । यह सब उसके…

नकल का फल

राहुल चार वर्ष का था, पर था वह बड़ा ही शरारती । वह न तो चुपचाप बैठ सकता था और न बिना बोले रह सकता था । हर समय कुछ न कुछ करता रहता था । नकलची भी वह बहुत था । एक बार किसी को काम करते देख लेता, बस फिर वही काम खुद…

श्वेता की उतावली

पीयूष के घर एक पालतू बिल्ली थी। वह सफेद रंग की थी । इसीलिये सबने उसका नाम श्वेता रख लिया था । श्वेता घर के सदस्य की ही भाँति रहती थी । वह शान से अपनी गर्दन उठाकर घर भर में घूमती रहती थी । निडर भाव से वह अपनी | मालकिन शालिनी की गोद…

चंगू-मंगू चले घूमने

चुनचुन चूहे के दो छोटे-छोटे बच्चे थे । यों उन्होंने अभी-अभी चलना सीखा था, पर थे वे बड़े शरारती । सारे दिन कुछ न कुछ उछल-कूद मचाते ही रहते थे । पल भर भी वे चैन से नहीं बैठ सकते थे । चुनचुन चूहा उनकी शरारतों से तंग आ गया । कभी वे एक-दूसरे से…

मीठे अंगूर

अमरकण्टक वन में तरह-तरह के फलों के वृक्ष लगे थे । चीनू बन्दर के वहाँ सबसे अधिक आनन्द हुए थे । कभी वह आम खाता था तो कभी अमरूद । कभी किसी पेड़ पर बैठा रहता तो कभी किसी पेड़ पर । आप के पेड़ पर अंगूरों की एक बड़ी सुन्दर बेल फैली हुई थी…

बर्र का उपदेश

सुन्दर कानन में भासुरक नाम का शेर रहता था । एक दिन उसने एक भालू को मारा । फिर वह भालू को खींचकर अपनी गुफा में ले आया । गुफा में शेर के छोटे-छोटे बच्चे थे । शेर उन्हीं को शिकार सिखाने के लिये भालू को मारकर लाया था । शेर अपने बच्चों को दाँत…